jaat

Thursday, 3 January 2013

तेरे चक्कर में फंस क न, मैं अपनी शान भूल गया।
एक नम्बर का चौधरी था,
मैं चौधर करनी भूल गया।

चौधर चालै थी, मेरी सारे गामां म।
40 गामां का रोला शांत कर देता।
खङा हो क चौक म।

तेरी आशिकी म पङ क ने, मैं देश भगती भी भूल गया।
एक नम्बर का चौधरी था, मैं चौधर करनी भूल गया।

करा करता बात शेर दिल खोल क।
आज तने रुके मारु, खङा हो क तारे रोङ प।

जङ रोज का आना जाना, वो आर्मी, फौज भूल गया।
एक नम्बर का चौधरी था,
मैं चौधर करनी भूल गया।

किसे त भी डरता कोनी, छोरा सु मैं शेर दिलदारा का।
हथेली प जान राखता, शौक बुलट और हथियारा का।

वो देशी जाट भी चौधर के फार्म भूल गया।
एक नम्बर का चौधरी था,
मैं चौधर करनी भूल गया।।

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